स्वर्गदुतो कौन है?


समझे कि स्वर्गदुत क्या करते है 

स्वर्गदूतों के कई कार्य और कार्य हैंजैसा कि मैंने अपने दूसरे लेख में बाइबल में 5 प्रकार के स्वर्गदूतों में उल्लेख किया था।
वे केवल हमारी सुरक्षा और रखवाली के लिए नहीं हैं। 
यहाँ भेजा गया है कि वे ईमानवालों की सहायता करें और परमेश्वर की इच्छा को धरती में पहुंचाएं 
 क्या वे सब परमेश्‍वर की सेवा टहल करनेवाली आत्माएँ नहीं; जो उद्धार पानेवालों के लिये सेवा करने को भेजी जाती हैं? (इब्रानियो.1:14)
सुंदर, भयानक जब आप इसके बारे में सोचते हैं!हम हमारी ओर से भगवान हैं और उनकी स्वर्गदूतों हमारी मदद करने के लिए!!धन्यवाद, यीशु

अब इस लेख में, मैं बाइबिल में देखना चाहता हूँ और स्वर्गदूतों क्या देखते हैं.हम यह देखेंगे कि पृथ्वी पर और हमारे साथ हमें किस तरह का काम,  या सेवाकार्य उपलब्ध है।
तो, परमेश्वर के शब्द के प्रकाश में स्वर्गदूतों को देखने के लिए तैयार हो जाओ!मैं आपको इन धर्मग्रंथों में गहराई तक जाने के लिए प्रोत्साहित करता हूं क्योंकि मैं केवल इस विषय का स्पर्श करने वाला हूँ।
वहाँ परमेश्वर के स्वर्गदूतों के मंत्री अधिक तरीके हैं तो सूची मैं नीचे हैमैं इसे अद्यतन रखता हूं क्योंकि मुझे अपने अध्ययन के समय में और अधिक पता चलता है!


1.स्वर्गदूत परमेश्वर की अराधना करते हैं:-

 स्पष्ट है कि स्वर्गदूत परमेश्वर की प्रशंसा और अराधना करने का समय बिताते हैं 
तब एकाएक उस स्वर्गदूत के साथ स्वर्गदूतों का दल परमेश्‍वर की स्तुति करते हुए और यह कहते दिखाई दिया,
,“आकाश में परमेश्‍वर की महिमा और
पृथ्वी पर उन मनुष्यों में जिनसे वह प्रसन्‍न है शान्ति हो।”(लुका.2:13-14)

हे उसके सब दूतों, उसकी स्तुति करो:
हे उसकी सब सेना उसकी स्तुति करो(भजन.148:2)

और सारे स्वर्गदूत, उस सिंहासन और प्राचीनों और चारों प्राणियों के चारों ओर खड़े हैं, फिर वे सिंहासन के सामने मुँह के बल गिर पड़े और परमेश्‍वर को दण्डवत् करके कहा (प्रकाशित. 7:11)

2.स्वर्गदुत परमेश्वर के सिंहासन के पास रहते है:-


जिस वर्ष उज्जियाह राजा मरा, मैंने प्रभु को बहुत ही ऊँचे सिंहासन पर विराजमान देखा; और उसके वस्त्र के घेर से मन्दिर भर गया। (प्रका. 4:2,6, मत्ती 25:3, प्रका. 7:10)
उससे ऊँचे पर साराप दिखाई दिए; उनके छः-छः पंख थे; दो पंखों से वे अपने मुँह को ढाँपे थे* और दो से अपने पाँवों को, और दो से उड़ रहे थे।
और वे एक दूसरे से पुकार-पुकारकर कह रहे थे: “सेनाओं का यहोवा पवित्र, पवित्र, पवित्र है; सारी पृथ्वी उसके तेज से भरपूर है।” (प्रका. 4:8, प्रका. 15:8)
और पुकारनेवाले के शब्द से डेवढ़ियों की नींवें डोल उठी, और भवन धुएँ से भर गया। (यशा:6:1-4)

जब मैंने देखा, तो उस सिंहासन और उन प्राणियों और उन प्राचीनों के चारों ओर बहुत से स्वर्गदूतों का शब्द सुना, जिनकी गिनती लाखों और करोड़ों की थी। 
 और वे ऊँचे शब्द से कहते थे, “वध किया हुआ मेम्‍ना ही सामर्थ्य, और धन, और ज्ञान, और शक्ति, और आदर, और महिमा, और स्तुति के योग्य है*।”  (प्रकशित.5.11-12)


3.जब कोई बचाया जाता है तब स्वर्गदूतों आनन्दित होते है:-


यह ऐसी सुंदर तस्वीर है कि परमेश्वर के स्वर्गदूतों को खुशी से भरे हुए हैं जब कोई यीशु को जानने के लिए आता है 
 
 मैं तुम से कहता हूँ; कि इसी रीति से एक मन फिरानेवाले पापी के विषय में परमेश्‍वर के स्वर्गदूतों के सामने आनन्द होता है।”  (लुका 15;10)




4.स्वर्गदूतों परमेश्वर की बात सुनते और पालन करते है:-

स्वर्गदूत केवल इन शानदार प्राणी ही नहीं हैं जो अपना स्वयं की बोली बोलते हैं( जब तक वे स्वर्गदूतों गिर गए हैं)वे ईश्वर का पालन करते हैं और धरती पर उसके उद्देश्यों को पूरा करने में मदद करते हैं। 

हे यहोवा के दूतों, तुम जो बड़े वीर हो,
और उसके वचन को मानते* और पूरा करते हो,
 उसको धन्य कहो (भजन.103:20)


5.स्वर्गदूत भगवान के बच्चों को देखते और रक्षा करते हैं:-

यहोवा के डरवैयों के चारों ओर उसका दूत
छावनी किए हुए उनको बचाता है। (भजन.34:7)

सुन, मैं एक दूत तेरे आगे-आगे भेजता हूँ जो मार्ग में तेरी रक्षा करेगा, और जिस स्थान को मैंने तैयार किया है उसमें तुझे पहुँचाएगा ( निर्गमन.23:20)

क्योंकि वह अपने दूतों को तेरे निमित्त आज्ञा देगा,
कि जहाँ कहीं तू जाए वे तेरी रक्षा करें। (भजन.91:11)



6.स्वर्गदूत परमेश्वर के संदेश को पहुचाते है:- 

 स्वर्गदुत के लिए हिब्रू शब्द "मलीक" है और यूनानी" देवदूत" है (आप यहाँ देख सकते हैं जहाँ से अंग्रेज़ी का शब्द आता है)।इन दोनों शब्दों का अर्थ एक ही बात है… "सन्देश वाहक"

स्वर्गदूत ने उसको उत्तर दिया, “मैं जिब्राईल* हूँ, जो परमेश्‍वर के सामने खड़ा रहता हूँ; और मैं तुझ से बातें करने और तुझे यह सुसमाचार सुनाने को भेजा गया हूँ। (लुका.1:19)

फिर यहोवा का दूत आकर उस बांज वृक्ष के तले बैठ गया, जो ओप्रा में अबीएजेरी योआश का था, और उसका पुत्र गिदोन एक दाखरस के कुण्ड में गेहूँ इसलिए झाड़ रहा था कि उसे मिद्यानियों से छिपा रखे।
उसको यहोवा के दूत ने दर्शन देकर कहा, “हे शूरवीर सूरमा*, यहोवा तेरे संग है।” (न्यायियो.6:11-12)

यह बात दर्शन में देखकर, मैं, दानिय्येल, इसके समझने का यत्न करने लगा; इतने में पुरुष के रूप धरे हुए कोई मेरे सम्मुख खड़ा हुआ दिखाई पड़ा।
16 तब मुझे ऊलै नदी के बीच से एक मनुष्य का शब्द सुन पड़ा, जो पुकारकर कहता था, “हे गब्रिएल, उस जन को उसकी देखी हुई बातें समझा दे।”
17 तब जहाँ मैं खड़ा था, वहाँ वह मेरे निकट आया; और उसके आते ही मैं घबरा गया; और मुँह के बल गिर पड़ा। तब उसने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के सन्तान, उन देखी हुई बातों को समझ ले, क्योंकि यह दर्शन अन्त समय के विषय में है।” (दानि. 9:21)
18 जब वह मुझसे बातें कर रहा था, तब मैं अपना मुँह भूमि की ओर किए हुए भारी नींद में पड़ा था, परन्तु उसने मुझे छूकर सीधा खड़ा कर दिया।
19 तब उसने कहा, “क्रोध भड़कने के अन्त के दिनों में जो कुछ होगा, वह मैं तुझे जताता हूँ; क्योंकि अन्त के ठहराए हुए* समय में वह सब पूरा हो जाएगा। (दानिय्येल 8:15-19)



7.स्वर्गदूतों परमेश्वर से चेतावनी लाते हैं:-

उनके चले जाने के बाद, परमेश्‍वर के एक दूत ने स्वप्न में प्रकट होकर यूसुफ से कहा, “उठ! उस बालक को और उसकी माता को लेकर मिस्र देश को भाग जा; और जब तक मैं तुझ से न कहूँ, तब तक वहीं रहना; क्योंकि हेरोदेस इस बालक को ढूँढ़ने पर है कि इसे मरवा डाले।” (मत्ति.2:13)



8.स्वर्गदूतों को पद के अनुसार श्रेणी: अधिकार की स्थिति है:-

अगर आपने स्वर्गदूतों के विभिन्न रूपों का अध्ययन किया है, तो आप देखेंगे कि विभिन्न पद और अधिकार केन्द्रों में शामिल है

फिर जिन स्वर्गदूतों ने अपने पद को स्थिर न रखा वरन् अपने निज निवास को छोड़ दिया, उसने उनको भी उस भीषण दिन के न्याय के लिये अंधकार में जो सनातन के लिये है बन्धनों में रखा है (यहूदा.1:6)



9.परमेश्वर की सेना: स्वर्गदुत जो परमेश्वर के लोगों के लिए लडते हैं:-

हां तक कि जब हम उन्हें नहीं देखते हैं परमेश्वर हमारे चारों ओर अपने स्वर्गदूतों को  हमारी ओर से लड़ने के लिए भेजता है.

15 भोर को परमेश्‍वर के भक्त का टहलुआ उठा और निकलकर क्या देखता है कि घोड़ों और रथों समेत एक दल नगर को घेरे हुए पड़ा है। तब उसके सेवक ने उससे कहा, “हाय! मेरे स्वामी, हम क्या करें?”
16 उसने कहा, “मत डर; क्योंकि जो हमारी ओर हैं*, वह उनसे अधिक हैं, जो उनकी ओर हैं।”
17 तब एलीशा ने यह प्रार्थना की, “हे यहोवा, इसकी आँखें खोल दे* कि यह देख सके।” तब यहोवा ने सेवक की आँखें खोल दीं, और जब वह देख सका, तब क्या देखा, कि एलीशा के चारों ओर का पहाड़ अग्निमय घोड़ों और रथों से भरा हुआ है।
(2.राजाओं 5:15-17)

7 तब प्रभु का एक स्वर्गदूत आ खड़ा हुआ और उस कोठरी में ज्योति चमकी, और उसने पतरस की पसली पर हाथ मार कर उसे जगाया, और कहा, “उठ, जल्दी कर।” और उसके हाथ से जंजीरें खुलकर गिर पड़ीं।
8 तब स्वर्गदूत ने उससे कहा, “कमर बाँध, और अपने जूते पहन ले।” उसने वैसा ही किया, फिर उसने उससे कहा, “अपना वस्त्र पहनकर मेरे पीछे हो ले।”
9 वह निकलकर उसके पीछे हो लिया; परन्तु यह न जानता था कि जो कुछ स्वर्गदूत कर रहा है, वह सच है, बल्कि यह समझा कि मैं दर्शन देख रहा हूँ। (प्रेरितों.12:7-9)



10.देवदूत हमें निर्देश व आज्ञा देते है:-

फिर प्रभु के एक स्वर्गदूत ने फिलिप्पुस से कहा, “उठकर दक्षिण की ओर उस मार्ग पर जा, जो यरूशलेम से गाज़ा को जाता है। यह रेगिस्तानी मार्ग है। (प्रेरितों.8:26)

उसने उसे ध्यान से देखा और डरकर कहा, “हे स्वामी क्या है?” उसने उससे कहा, “तेरी प्रार्थनाएँ और तेरे दान स्मरण के लिये परमेश्‍वर के सामने पहुँचे हैं।(प्रेरितों.10:4)


11.स्वर्गदूतों को प्रार्थना का उत्तर देने के लिए भेजा जा सकता है।:-

21 तब वह पुरुष गब्रिएल जिसे मैंने उस समय देखा जब मुझे पहले दर्शन हुआ था, उसने वेग से उड़ने की आज्ञा पाकर, सांझ के अन्नबलि के समय मुझ को छू लिया; और मुझे समझाकर मेरे साथ बातें करने लगा। (लूका 1:19)
22 उसने मुझसे कहा, “हे दानिय्येल, मैं तुझे बुद्धि और प्रवीणता देने को अभी निकल आया हूँ।
23 जब तू गिड़गिड़ाकर विनती करने लगा, तब ही इसकी आज्ञा निकली, इसलिए मैं तुझे बताने आया हूँ, क्योंकि तू अति प्रिय ठहरा है; इसलिए उस विषय को समझ ले और दर्शन की बात का अर्थ जान ले। (दानिय्येल.9:21-23)



12.स्वर्गदूत आराम नहीं करते :-

और चारों प्राणियों के छः-छः पंख हैं, और चारों ओर, और भीतर आँखें ही आँखें हैं; और वे रात-दिन बिना विश्राम लिए यह कहते रहते हैं, 
पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु परमेश्‍वर, सर्वशक्तिमान,
जो था, और जो है, और जो आनेवाला है (प्रकाशित.4:8)



13.सपनों में स्वर्गदूत:-

तब उसने स्वप्न में क्या देखा, कि एक सीढ़ी पृथ्वी पर खड़ी है, और उसका सिरा स्वर्ग तक पहुँचा है; और परमेश्‍वर के दूत उस पर से चढ़ते-उतरते हैं। (उत्पत्ति. 28:12)

तब परमेश्‍वर के दूत ने स्वप्न में मुझसे कहा, ‘हे याकूब,’ मैंने कहा, ‘क्या आज्ञा।’ (उत्पत्ति.31:11)

जब वह इन बातों की सोच ही में था तो परमेश्‍वर का स्वर्गदूत उसे स्वप्न में दिखाई देकर कहने लगा, “हे यूसुफ! दाऊद की सन्तान, तू अपनी पत्‍नी मरियम को अपने यहाँ ले आने से मत डर, क्योंकि जो उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है। (मत्ति.1:20)




14.अपकी यात्रा को सफल बनाने के लिए स्वर्गदूतों को आपको भेजता है:-

तब उसने मुझसे कहा, ‘यहोवा, जिसके सामने मैं चलता आया हूँ, वह तेरे संग अपने दूत को भेजकर तेरी यात्रा को सफल करेगा; और तू मेरे कुल, और मेरे पिता के घराने में से मेरे पुत्र के लिये एक स्त्री ले आ सकेगा। (उत्पत्ति. 24:40)


15.स्वर्गदूत निर्णय ले सकते हैं:-
चलो वास्तविक हो यह हम चाहते हैं कि दिव्य गतिविधि की तरह नहीं है, लेकिन यह जानना और महसूस करना महत्वपूर्ण है

उत्पत्ति 19:1-11 (यह सदोम शहर की कहानी है )

मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों को भेजेगा, और वे उसके राज्य में से सब ठोकर के कारणों को और कुकर्म करनेवालों को इकट्ठा करेंगे।
और उन्हें आग के कुण्ड* में डालेंगे, वहाँ रोना और दाँत पीसना होगा। (मत्ति.13:41-42)

 फिर मैंने मन्दिर में किसी को ऊँचे शब्द से उन सातों स्वर्गदूतों से यह कहते सुना, “जाओ, परमेश्‍वर के प्रकोप के सातों कटोरों को पृथ्वी पर उण्डेल दो।” (प्रकाशित. 16:1)


जैसा कि आप देख सकते हैं कि स्वर्गदूत बहुत कुछ कर सकते हैं और ये सब भी नहीं है यदि आप इस विषय पर अधिक पढ़ना चाहते हैं तो आप स्वर्गदूतों पर मेरे दूसरे लेखो का इंतज़ार करें 




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