प्रतिदिन बाइबल पढ़ने के 15 अद्भुत फायदे




बाइबल पढ़ने के कई फायदे है।  जबकि ऐसे कई तरीके हैं जो बाइबल पढ़ने से हमें परमेश्वर के करीब लाते हैं और हमें रोज़ाना फायदा पहुँचाते हैं।  यहाँ कुछ हैं जो मैं अपने दिल के करीब रखता हूं और दैनिक आधार पर वचन में बने रहने के लिए मेरे लिए स्मरण पत्र के रूप में काम करता हूं:

1.वचन मोक्ष देता है :-
परमेश्वर का वचन हमें मोक्ष की ओर ले जाता है।  यह उनके वचन में लिखा है कि जब हम अपनी आशा परमेश्वर मे रखते हैं तो हम बच जाते हैं। यहां तक ​​कि अगर आप पहले से ही एक आस्तिक हैं, तो वचनो को फिर से याद करना हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर ने अपने इकलौते बेटे को हमारे लिए दे दिया, 

क्योंकि परमेश्‍वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए। ( यूहन्ना 3:16)


2.जीवन कि शिक्षा वचन से मिलती है  :-
जीवन के लिए परमेश्वर के निर्देश बाइबिल के वचनो में हैं। हम दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं। हमें परिस्थितियों में कैसे कार्य या प्रतिक्रिया करनी चाहिए।  यह सब परमेश्वर के वचन बाइबिल मे लिखा है!

जो वचन पर मन लगाता, वह कल्याण पाता है,
और जो यहोवा पर भरोसा रखता, वह धन्य होता है*।(नीति.16:20)


3.वचन ज्ञान को बढ़ाता है :-
परमेश्वर का वचन परमेश्वर कि सांस है, और अपने वचन के द्वारा हमें अपनी शिक्षा देता है ताकि हमारा ज्ञान बड़ के 

 तेरी बातों के खुलने से प्रकाश होता है*;
उससे निर्बुद्धि लोग समझ प्राप्त करते हैं। (भजन 119:130)


4. पवित्रशास्त्र हमारे बंधनो को तोड़ता है, और हमारे बोझों को उठाता है:-
परमेश्वर का वचन ज्योति है और अन्धकार का नाश करता है और जो कोई ज्योति मे चलता है वो किसी भी अन्धकार मे नहीं और किसी भी बंधन मे नहीं रहता 

इसी कारण मैं तेरे सब उपदेशों को सब विषयों में ठीक जानता हूँ;और सब मिथ्या मार्गों से बैर रखता हूँ। (भजन 119:128)

5. परमेश्वर का वचन हमें खुशी देता है :-
कई बार है समस्याओ और तकलीफो से गुजरते है उस वक़्त परमेश्वर का वचन हम बुरे वक़्त मे भी लड़ने कि शक्ति देता है और और खुशी से जीने का मार्ग बताता है 

 मैंने तेरी चितौनियों को सदा के लिये अपना निज भाग कर लिया है,
क्योंकि वे मेरे हृदय के हर्ष का कारण है। (भजन 119:111)


6. बाइबल हमें आशा देती है:-
हम सब को अपने जीवन संघर्ष और कठिन समय से भी गुजरना पड़ता है, बुरे वक़्त मे भी परमेश्वर का वचन हमें आशा देता है 

जितनी बातें पहले से लिखी गईं, वे हमारी ही शिक्षा के लिये लिखी गईं हैं कि हम धीरज और पवित्रशास्त्र के प्रोत्साहन के द्वारा आशा रखें। (रोमियो 15:4)



7. बाइबिल हमें परमेश्वर वादों की याद दिलाता है:-
मनुष्य कई बार अपने जीवन मे भटक जाता है और निराशा मे गिर जाता है, उस वक़्त परमेश्वर का वचन हमें परमेश्वर के वादों को याद दिलाता है, 

उस अनन्त जीवन की आशा पर, जिसकी प्रतिज्ञा परमेश्‍वर ने जो झूठ बोल नहीं सकता सनातन से की है,(तीतुस 1:2)


8. परमेश्वर का वचन हमें युद्ध करने और शैतान को हराने में सक्षम बनाता है:-
शैतान सब लोगो को गिराने कि कोशिश करता है, संसार मे क्लेश और पापों का मूल शैतान ही है लेकिन परमेश्वर वचन मे शैतान को हराने कि शक्ति देता है 

और उद्धार का टोप, और आत्मा की तलवार जो परमेश्‍वर का वचन है, ले लो। (इफि.6:17)

तब परखनेवाले ने पास आकर उससे कहा, “यदि तू परमेश्‍वर का पुत्र है, तो कह दे, कि ये पत्थर रोटियाँ बन जाएँ।”

यीशु ने उत्तर दिया, “लिखा है,
‘मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं,
परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्‍वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा।’ ”(मत्ती. 4.3-4)

9. आपका विश्वास मज़बूत होगा:-
परमेश्वर का वचन हमें बुरे समय मे परमेश्वर पर मजबूत रूप से विश्वास करना सिखाता है 

इसलिए विश्वास सुनने से, और सुनना मसीह के वचन से होता है। (रोमियो. 10:17)

10.बाइबिल परमेश्वर कि संगति का आनंद देती है :-
 आप उसके साथ एक अधिक संगति का आनंद लेंगे (किसी भी दोस्त या परिवार के सदस्य के साथ समय बिताने के रूप में। गुणवत्ता समय एक साथ दोस्ती और रिश्तों को मजबूत करता है)।

 जो कुछ हमने देखा और सुना है उसका समाचार तुम्हें भी देते हैं, इसलिए कि तुम भी हमारे साथ सहभागी हो; और हमारी यह सहभागिता पिता के साथ, और उसके पुत्र यीशु मसीह के साथ है। (1यूहन्ना 1:3)



11. परमेश्वर आपकी प्रार्थना सुनेगा :-
आपकी प्रार्थना सुनी जाएगी।  शास्त्र के साथ और अधिक प्रार्थना करना अविश्वसनीय रूप से प्रभावी है और कभी-कभी हमें ऐसे शब्द देता है जब हमारा अपना मन और हृदय हमें असफल कर देता है।

 यहोवा को अपने सुख का मूल जान,
और वह तेरे मनोरथों को पूरा करेगा। (भजन 37:4)


12. आप आध्यात्मिक रूप से विकसित होंगे:- 
जब आप बाइबिल पढ़ते है, आपका आध्यात्मिक विकास होना शुरू होता है, 

 और उद्धार का टोप, और आत्मा की तलवार जो परमेश्‍वर का वचन है, ले लो। (इफि. 6:17)

क्योंकि जो कोई वचन का सुननेवाला हो, और उस पर चलनेवाला न हो, तो वह उस मनुष्य के समान है जो अपना स्वाभाविक मुँह दर्पण में देखता है।(याकूब 1:23)

13. परिपक्वता बढ़ेगी :-
आप परमेश्वर की बातों में परिपक्व होंगे।  उसके और उसकी आज्ञाओं के बारे में अधिक सीखने से हमें विश्वासियों के रूप में परिपक्व होने में मदद मिलेगी

क्योंकि दूध पीनेवाले* को तो धार्मिकता के वचन की पहचान नहीं होती, क्योंकि वह बच्चा है
 पर अन्न सयानों के लिये है, जिनकी ज्ञानेन्द्रियाँ अभ्यास करते-करते, भले-बुरे में भेद करने में निपुर्ण हो गई हैं।
(इब्रानियों. 5:13, 14)


14. वचन आपको समृद्ध बनता है :-
आप अधिक समृद्ध और सफल होंगे जैसा कि आप सीखते हैं कि उन्होंने क्या सिखाया है और अपने और अपने व्यवसाय और दैनिक मामलों का संचालन कैसे करें


परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्‍न रहता;
और उसकी व्यवस्था पर रात-दिन ध्यान करता रहता है।
 वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती पानी की धाराओं के किनारे लगाया गया है*
और अपनी ऋतु में फलता है,
और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं।
और जो कुछ वह पुरुष करे वह सफल होता है।
 (भजन. 1:2, 3)

15. आप परमेश्वर का भया मानना सीखेंगे।:- 

और वह उसे अपने पास रखे, और अपने जीवन भर उसको पढ़ा करे, जिससे वह अपने परमेश्‍वर यहोवा का भय मानना, और इस व्यवस्था और इन विधियों की सारी बातों को मानने में चौकसी करना, सीखे; (व्यवस्था 17:19)



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