मुश्किल समय मे भी परमेश्वर पर कैसे भरोसा रखे

ऐसा अक्सर होता है,  की आप परेशानी और निराशा मे गिरते है ! और ये केवल आपके जीवन मे नहीं पर हर एक व्यक्ति के जीवन मे होता है, लेकिन कुछ लोग इस से बड़ी आसानी से निकल जाते है, 
              पर कुछ लोगो को बड़ा संघर्ष करना पड़ता है, तब निकल पाते है, और कुछ लोग जीवन भर नहीं निकल पाते है और वो अपने जीवन के हर क्षेत्र मे निराशा, परेशानी, संघर्ष, को महसूस करते है,
                      कई बार आपको लग सकता है की आप सब कुछ सही कर रहे है लेकिन आपके काम नहीं बन रहे, और आपको लगता है हर तरफ संघर्ष और निराशा है, 

लेकिन मै आज आपको बताना चाहता हूँ, की निराशा शत्रु का सबसे बड़ा हत्यार है, और वो बड़ी आसानी से आपको निराशा मे गिरा सकता है, और आपको अपने लक्ष्य से भटका सकता है! 
इस लेख मे हम देखेंगे की निराशा से कैसे बाहर निकले, और जब शत्रु आपको निराशा मे गिराए तो कैसे व्यवहार करे !

1.परमेश्वर के वचन पर विश्वास करें :-

कई बार आपके जीवन कठिन समय आता है, और आपका विश्वास कमजोर पड़ने लगता है! और आप सोचते है की मै इतना परेशान हूँ दुःखो मे हूँ, और तकलीफो से गुजर रहा हूँ क्या परमेश्वर मेरी सुन रहा है या मुझे देख भी रहा है या नहीं 
और आपका परमेश्वर के वचन से विश्वास कम होने लगता है लेकिन आपको कठिन से कठिन समय मे भी विश्वास रखने की जरुरत है, क्योंकि परमेश्वर जिसने आपको बुलाया है, वो आपको संभालेगा भी और सब कुछ पूरा भी करेगा 
इसलिए कितनी भी निराशा क्यों ना आपको अब्राहम की तरह विश्वास करना आना चाहिए 

उसने निराशा में भी आशा रखकर विश्वास किया, इसलिए कि उस वचन के अनुसार कि “तेरा वंश ऐसा होगा,” वह बहुत सी जातियों का पिता हो (रोमियो 4:18) 



2.विश्वास मे दृढ़ बने :-

विश्वास शब्द बड़ा ही महत्वपूर्ण है, अगर हम इसका सन्धि विच्छेद करे तो बनता है - विश्व +आस =संसार से आस 
अत: हर कोई विश्वास चाहता है, परन्तु आज के इस आधुनिक युग मे कोई किसी पर विश्वास नहीं करता और 
इंसान इंसान तो क्या, नास्तिक तो ईश्वर तक पर विश्वास नहीं करने का दावा करते हैं.. वो भी दंभ के साथ |
लेकिन एक मसीह विश्वासी होने के नाते आपको परमपिता परमेश्वर पर दृढ़ विश्वास होना चाहिए  उसने पशु, पेड़, पक्षी  सभी बनायें और विश्वास किया इंसान पर कि ये मेरी बनायी प्रकृति की रक्षा करेगा और उसे सुन्दरतम बनायेगा पर इंसान ने उस विश्वास को तोड़ दिया |आज पशु व मनुष्य में मात्र आकृति का अंतर रह गया है वर्ना, वो ही बर्बरता, धूर्तता, छल, स्वार्थ, छीना झपटी..अपनी क्षुधापूर्ति, वो चाहे शरीर की हो या वासना की, उसी में मनुष्य भी आज जुटा रहता है|किसी को किसी पर विश्वास नहीं रहा| इसने सब को त्रस्त कर दिया है |यह विश्वास ही है जो हमें शांति , संतोष, ऊर्जा व आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है..
आज विश्वास ना करना भी एक प्रकार की बीमारी है, क्योंकि मनुष्य तो मनुष्य पर विश्वास नहीं करता तो परमेश्वर पर कैसे विश्वास करेगा, लेकिन हम और  विश्वास करना अब्रहाम से सीखा सकते है, और कठिन समय मे विश्वास योग्य बने  रह सकते है !

वह जो एक सौ वर्ष का था, अपने मरे हुए से शरीर और सारा के गर्भ की मरी हुई की सी दशा जानकर भी विश्वास में निर्बल न हुआ,(रोमियो 4:19)


आपको विश्वास करने की आवश्यकता है ! परमेश्वर हर वादे को पूरा करने वाला परमेश्वर है वह सामर्थी है, अपने विश्वास को कठिन समय मे और दृढ़ बनाये और अब्राहम से सीखे की बुरे समय मे परमेश्वर पर कैसे भरोसा कर सकते है 


:- इस वचन और लेख से आपको आशीष मिली है तो कृपया कमेंट लाइक और शेयर जरूर करे 
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