स्वर्गदूतो कौन है? स्वर्गदूत कितने प्रकार के होते है?



1.पाँच प्रकार के स्वर्ग दूत 

इस लेख में हम स्वर्गदुत और स्वर्गदुतो कि सेवकाई के बारे में जानेगे पवित्र शास्त्र बाईबल कई प्रकार के दुतो के बारे में बात करती है!

1.महादूत:-
महादूत शब्द एक पद को दर्शाता है जो स्वर्गदुत है ! यह महदूत केवल 2 बार बाईबल मे प्रयोग हुआ है वो भी नए नियम मे -

क्योंकि उसी में सारी वस्तुओं की सृष्टि हुई, स्वर्ग की हो अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्या सिंहासन, क्या प्रभुताएँ, क्या प्रधानताएँ, क्या अधिकार, सारी वस्तुएँ उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई हैं और वही सब वस्तुओं में प्रथम है, और सब वस्तुएँ उसी में स्थिर रहती हैं। (कुलिसियो:1:16-17)

और सब पर यह बात प्रकाशित करूँ कि उस भेद का प्रबन्ध क्या है, जो सब के सृजनहार परमेश्‍वर में आदि से गुप्त था।
ताकि अब कलीसिया के द्वारा, परमेश्‍वर का विभिन्न प्रकार का ज्ञान, उन प्रधानों और अधिकारियों पर, जो स्वर्गीय स्थानों में हैं प्रगट किया जाए। (इफिसियो:3:9-10)
 इसमें केवल मिकाईल को महादूत कहा है लेकिन कुछ विद्वान गैब्रियल को भी महादूत कहते है क्योंकि पुराने नियम और नए नियम मे लिखा है 
स्वर्गदूत ने उसको उत्तर दिया, “मैं जिब्राईल* हूँ, जो परमेश्‍वर के सामने खड़ा रहता हूँ; (लुका:1:19)

परन्तु प्रधान स्वर्गदूत मीकाईल ने, जब शैतान से मूसा के शव के विषय में वाद-विवाद किया, तो उसको बुरा-भला कहके दोष लगाने का साहस न किया; पर यह कहा, “प्रभु तुझे डाँटे। (यहूदा.1:9)

 क्योंकि प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा; उस समय ललकार, और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा*, और परमेश्‍वर की तुरही फूँकी जाएगी, और जो मसीह में मरे हैं, वे पहले जी उठेंगे। (1थिस्सलुनिकियो:4:16)

2.देव्-दूत:-
 कई बार हम फोटो और फिल्मों में देखते है छोटे- छोटे सुंदर से देव-दूत दिखाये जाते है लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है वो सिर्फ कलाकार कि कल्पना भवीष्यवक्ता यहेजकल ने इस बारे में बताया है  
तीसवें वर्ष के चौथे महीने के पाँचवें दिन, मैं बन्दियों के बीच कबार नदी के तट पर था, तब स्वर्ग खुल गया, और मैंने परमेश्‍वर के दर्शन पाए। (यहे. 3:23)
यहोयाकीन राजा की बँधुआई के पाँचवें वर्ष के चौथे महीने के पाँचवें दिन को, कसदियों के देश में कबार नदी के तट पर,
 यहोवा का वचन बूजी के पुत्र यहेजकेल याजक के पास पहुँचा; और यहोवा की शक्ति उस पर वहीं प्रगट हुई।

परमेश्‍वर का रथ और उसका सिंहासन

जब मैं देखने लगा, तो क्या देखता हूँ कि उत्तर दिशा से बड़ी घटा, और लहराती हुई आग सहित बड़ी आँधी आ रही है; और घटा के चारों ओर प्रकाश और आग के बीचों-बीच से झलकाया हुआ पीतल सा कुछ दिखाई देता है।
 फिर उसके बीच से चार जीवधारियों के समान कुछ निकले। और उनका रूप मनुष्य के समान था,
परन्तु उनमें से हर एक के चार-चार मुख और चार-चार पंख थे।
 उनके पाँव सीधे थे, और उनके पाँवों के तलवे बछड़ों के खुरों के से थे; और वे झलकाए हुए पीतल के समान चमकते थे।
 उनके चारों ओर पर पंखों के नीचे मनुष्य के से हाथ थे। और उन चारों के मुख और पंख इस प्रकार के थे:
उनके पंख एक दूसरे से परस्पर मिले हुए थे; वे अपने-अपने सामने सीधे ही चलते हुए मुड़ते नहीं थे।
 उनके सामने के मुखों का रूप मनुष्य का सा था; और उन चारों के दाहिनी ओर के मुख सिंह के से, बाईं ओर के मुख बैल के से थे, और चारों के पीछे के मुख उकाब पक्षी के से थे। (प्रका. 4:7)
उनके चेहरे ऐसे थे और उनके मुख और पंख ऊपर की ओर अलग-अलग थे; हर एक जीवधारी के दो-दो पंख थे, जो एक दूसरे के पंखों से मिले हुए थे, और दो-दो पंखों से उनका शरीर ढपा हुआ था।
वे सीधे अपने-अपने सामने ही चलते थे; जिधर आत्मा जाना चाहता था, वे उधर ही जाते थे, और चलते समय मुड़ते नहीं थे।
जीवधारियों के रूप अंगारों और जलते हुए मशालों के समान दिखाई देते थे, और वह आग जीवधारियों के बीच इधर-उधर चलती-फिरती हुई बड़ा प्रकाश देती रही; और उस आग से बिजली निकलती थी। (प्रका. 4:5, प्रका. 11:1)
जीवधारियों का चलना-फिरना बिजली का सा था।
जब मैं जीवधारियों को देख ही रहा था, तो क्या देखा कि भूमि पर उनके पास चारों मुखों की गिनती के अनुसार, एक-एक पहिया था
पहियों का रूप और बनावट फीरोजे की सी थी, और चारों का एक ही रूप था; और उनका रूप और बनावट ऐसी थी जैसे एक पहिये के बीच दूसरा पहिया हो।
चलते समय वे अपनी चारों ओर चल सकते थे*, और चलने में मुड़ते नहीं थे।
 उन चारों पहियों के घेरे बहुत बड़े और डरावने थे, और उनके घेरों में चारों ओर आँखें ही आँखें भरी हुई थीं। (प्रका. 4:6)
 जब जीवधारी चलते थे, तब पहिये भी उनके साथ चलते थे; और जब जीवधारी भूमि पर से उठते थे, तब पहिये भी उठते 
जिधर आत्मा जाना चाहती थी, उधर ही वे जाते, और पहिये जीवधारियों के साथ उठते थे; क्योंकि उनकी आत्मा पहियों में थी।
 जब वे चलते थे तब ये भी चलते थे; और जब-जब वे खड़े होते थे तब ये भी खड़े होते थे; और जब वे भूमि पर से उठते थे तब पहिये भी उनके साथ उठते थे; क्योंकि जीवधारियों की आत्मा पहियों में थी।

दिव्य महिमा का दर्शन

जीवधारियों के सिरों के ऊपर आकाशमण्डल सा कुछ था जो बर्फ के समान भयानक रीति से चमकता था, और वह उनके सिरों के ऊपर फैला हुआ था। (यहे. 10:1)
 आकाशमण्डल के नीचे, उनके पंख एक दूसरे की ओर सीधे फैले हुए थे; और हर एक जीवधारी के दो-दो और पंख थे जिनसे उनके शरीर ढँपे हुए थे।
 उनके चलते समय उनके पंखों की फड़फड़ाहट की आहट मुझे बहुत से जल, या सर्वशक्तिमान की वाणी, या सेना के हलचल की सी सुनाई पड़ती थी; और जब वे खड़े होते थे, तब अपने पंख लटका लेते थे। (यहे. 10:5)
फिर उनके सिरों के ऊपर जो आकाशमण्डल था, उसके ऊपर से एक शब्द सुनाई पड़ता था; और जब वे खड़े होते थे, तब अपने पंख लटका लेते थे.
जो आकाशमण्डल उनके सिरों के ऊपर था, उसके ऊपर मानो कुछ नीलम का बना हुआ सिंहासन था; इस सिंहासन के ऊपर मनुष्य के समान* कोई दिखाई देता था। (प्रका. 1:13)
उसकी मानो कमर से लेकर ऊपर की ओर मुझे झलकाया हुआ पीतल सा दिखाई पड़ा, और उसके भीतर और चारों ओर आग सी दिखाई देती थी; फिर उस मनुष्य की कमर से लेकर नीचे की ओर भी मुझे कुछ आग सी दिखाई देती थी; और उसके चारों ओर प्रकाश था।
जैसे वर्षा के दिन बादल में धनुष दिखाई पड़ता है, वैसे ही चारों ओर का प्रकाश दिखाई देता था। यहोवा के तेज का रूप ऐसा ही था। और उसे देखकर, मैं मुँह के बल गिरा, तब मैंने एक शब्द सुना जैसे कोई बातें करता है। (यहे.अध्याय: 1)


3.सेवक:-
यह प्रभु की सेवा से जुड़े है 
जिस वर्ष उज्जियाह राजा मरा, मैंने प्रभु को बहुत ही ऊँचे सिंहासन पर विराजमान देखा; और उसके वस्त्र के घेर से मन्दिर भर गया। 
उससे ऊँचे पर साराप दिखाई दिए; उनके छः-छः पंख थे; दो पंखों से वे अपने मुँह को ढाँपे थे* और दो से अपने पाँवों को, और दो से उड़ रहे थे।
और वे एक दूसरे से पुकार-पुकारकर कह रहे थे: “सेनाओं का यहोवा पवित्र, पवित्र, पवित्र है; सारी पृथ्वी उसके तेज से भरपूर है।” 
और पुकारनेवाले के शब्द से डेवढ़ियों की नींवें डोल उठी, और भवन धुएँ से भर गया।
 तब मैंने कहा, “हाय! हाय*! मैं नाश हुआ; क्योंकि मैं अशुद्ध होंठवाला मनुष्य हूँ, और अशुद्ध होंठवाले मनुष्यों के बीच में रहता हूँ; क्योंकि मैंने सेनाओं के यहोवा महाराजाधिराज को अपनी आँखों से देखा है!”

तब एक साराप हाथ में अंगारा लिए हुए, जिसे उसने चिमटे से वेदी पर से उठा लिया था, मेरे पास उड़कर आया।

उसने उससे मेरे मुँह को छूकर कहा, “देख, इसने तेरे होंठों को छू लिया है, इसलिए तेरा अधर्म दूर हो गया और तेरे पाप क्षमा हो गए।”
 तब मैंने प्रभु का यह वचन सुना, “मैं किस को भेजूँ, और हमारी ओर से कौन जाएगा?” तब मैंने कहा, “मैं यहाँ हूँ! मुझे भेज।”
(यशा.6:1-8)

4.जीवित प्राणी:-
इन स्वर्गदुतो को जीवित पशु या चार जानवरो के रूप में भी जाना जाता है वे परमेश्वर की पूजा या महिमा द्वारा सेवा करते है 

और उस सिंहासन के सामने मानो बिल्लौर के समान काँच के जैसा समुद्र है*, और सिंहासन के बीच में और सिंहासन के चारों ओर चार प्राणी है, जिनके आगे-पीछे आँखें ही आँखें हैं। (यहे. 10:12)
पहला प्राणी सिंह के समान है, और दूसरा प्राणी बछड़े के समान है, तीसरे प्राणी का मुँह मनुष्य के समान है, और चौथा प्राणी उड़ते हुए उकाब के समान है। (यहे. 1:10, यहे. 10:14)
और चारों प्राणियों के छः-छः पंख हैं, और चारों ओर, और भीतर आँखें ही आँखें हैं; और वे रात-दिन बिना विश्राम लिए यह कहते रहते हैं, (यशा. 6:2-3)
“पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु परमेश्‍वर, सर्वशक्तिमान,
जो था, और जो है, और जो आनेवाला है।”
और जब वे प्राणी उसकी जो सिंहासन पर बैठा है, और जो युगानुयुग जीविता है, महिमा और आदर और धन्यवाद करेंगे। (प्रकाशित. 4:6-9)


5.आम- स्वर्गदुत:-
 यह स्वर्गदुतो को श्रेणीं बद करने का व्यापक लग सकता है लेकिन यह स्वर्गदुतो कि श्रेणीं में नहीं आते इसका मतलब यह नहीं कि ये शक्तिशाली नहीं है ये परमेश्वर का कम करते है 

अतिथि-सत्कार करना न भूलना, क्योंकि इसके द्वारा कितनों ने अनजाने में स्वर्गदूतों का आदर-सत्कार किया है। (इब्रानियो 13:2)

उन्होंने उससे कहा, “तू पागल है।” परन्तु वह दृढ़ता से बोली कि ऐसा ही है: तब उन्होंने कहा, “उसका स्वर्गदूत होगा। (प्रेरि:12:15)


http://nksamuel.blogspot.com/2020/09/blog-post.html


2.स्वर्गदूतों से अपने जीवन में कैसे काम ले :-

बाईबल से ईश्वर के दूतों को सक्रिय और मुक्त करने में जानकारी  लेते हैं। हम 6 विभिन्न तरीकों की खोज करेंगे जो स्वर्गदूतों को हमारे जीवन मे आकर्षित और जारी कर सकते हैं।

कैसे स्वर्गदूतों को आकर्षित और जारी कर सकते है 

1.विश्वास :-
  और विश्वास बिना उसे प्रसन्‍न करना अनहोना है 
 (इब्रानियो 11:6)

विश्वास आध्यात्मिक क्षेत्र और प्राकृतिक क्षेत्र में चीजों के होने का कारण बनता है तुम पहाड़ों को स्थानांतरित कर सकते हैं, मुर्दो को ज़िला सकते हैं, और दुनिया को यीशु के लिए बदल सकते हैं  विश्वास  कमजोर दिल वालों के लिए नहीं है 
जो लोग अत्यधिक विश्वास में चलते हैं, वे ऐसी चीजें कर सकते हैं जो कोई भी नहीं कर सकता क्योंकि वे मानते हैं कि परमेश्वर कर सकते हैं। जहां विश्वास कर्य करता है वहाँ परमेश्वर के दुत उपस्थित रहते है अगर हमें कोई विश्वास नहीं है तो हम अपने जीवन में स्वर्गदूत को स्थानांतरित करने की और कार्य करवाने कि उम्मीद नहीं कर सकते। हम इसे बाइबल की कई कहानियों में देख सकते हैं।

2.परमेश्वर के साथ घनिष्ठता:-
यह एक दिया जाना चाहिए जितना आप परमेश्वर की घनिष्ठता मे रहते हो उतना ही परमेश्वर का रज्य आपमें है 
मैं दाखलता हूँ: तुम डालियाँ हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उसमें, वह बहुत फल फलता है, क्योंकि मुझसे अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते*।(यूहन्ना15:5)
ईश्वर चाहता है कि हम उसके मित्र बनें न कि केवल कोई व्यक्ति जो वचन अच्छे से पढकर  "आमीन!"बोलने वाला हो 
 घनिष्ठता अपने अस्तित्व में भगवान (परमेश्वर) के साथ समय व्यतीत करने और अपने वचन में गहराई तक खोज करते हुए, उस पर विश्वास और भरोसा करते हैं जो उसने कहा है परमेश्वर के स्वर्गदूत उसकी उपस्थिति से प्यार करते हैं! जितना अधिक समय हम ईश्वर के साथ बिताते हैं, उतना ही उसकी उपस्थिति हमारे जीवन में होती है। यह हमारे जीवन में अधिक स्वर्गदूतों कि गतिविधि को बड़ाता है 
इस विषय में मुझे भविष्यद्वक्ता दानिय्येल कि पुस्तक का अध्याय 11और वचन 32 बहुत पसंद है जिसमें कहता है 
"परन्तु जो लोग अपने परमेश्‍वर का ज्ञान रखेंगे, वे हियाव बाँधकर बड़े काम करेंगे।"

3. अपनी बुलाहट मे चलना:- 
ईश्वर का प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में एक विशिष्ट बुलाहट है
यह महत्वपूर्ण है कि हमें पता चले कि भगवान हमें अपने जीवन में क्या करने के लिए बुला रहे हैं और इसका पीछा करने के लिए 
बाइबल के प्रत्येक पुरुष और महिला ने अपने बुलावे का अनुसरण करते हुए अपने जीवन में स्वर्गदूतों का समर्थन प्राप्त  किया। इसे आप एलिशा के जीवन में देख सकते हैं जब वह नबी के रूप में अपनी बुलाहट में चल रहा था.जब दुश्मन के खिलाफ आने की कोशिश की। भगवान ने रक्षा के लिए स्वर्गदूतों की एक सेना भेजी (2 राजओ6:17)


4.आज्ञाकारिता:-
अपनी बुलाहट को समझना,परमेश्वर के साथ घनिष्ठ होना है 
और विश्वास होना जरूरी है, लेकिन इन सब बातों के साथ, हमें अभी भी परमेश्वर की आज्ञा का पालन करने और पवित्र आत्मा के मार्ग पर चलने की आवश्यकता है। आपके पास ये तीनो चीजे हो सकती है लेकिन फिर भी आप अवज्ञाकारी हो सकते हो  आप कहोगे ये कैसे हो सकता है लेकिन आप योना के जीवन को देख सकते है।  उसके पास तीनो चीजें थी, लेकिन फिर भी वह अवज्ञाकारी था.और हम सभी जानते हैं कि ये उसे कहाँ ले गया! और जब योना ने अवज्ञा करी तो परमेश्वर दे दुतो का साथ छोड़ दिया और भटक गया 


5.एक सक्रिय प्रार्थना जीवन :-
प्रार्थना एक शक्तिशाली हथियार है याकुब् 5:16 जब हम प्रार्थना करते हैं तो हम सचमुच स्वर्ग को स्थानांतरित कर रहे हैं।
प्रार्थना परमेश्वर की इच्छा को पूरा करने के लिए जारी होने का कारण बनती है दानिय्येल की पुस्तक में देखते है जब उन्होंने प्रार्थना की तो हम इसे देखते हैं। दानिय्येल 10 परमेश्वर की रक्षा, मदद या प्रोत्साहित करने के लिए स्वर्गदूतों को रिहा करने के लिए कहना ज्ञान है।

6.पवित्र-आत्मा के द्वारा चलना :-
पवित्र आत्मा के नेतृत्व में आपको वास्तव में पुराने मनोदशा और चीजों को छोड़ने के बारे में सीखना होगा जो आपको बाधित कर सकते हैं आप पूछ सकते थे, "इसमे और आज्ञाकारिता के बीच में क्या अंतर है?" जब आप पवित्र आत्मा के नेतृत्व में हैं, तो आप पर हमेशा अभिषेक होता है आप आसानी से एक आज्ञाकारी विश्वासी हो सकते हैं जो सही है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उस पल में पवित्र आत्मा आपमें सांस ले रहा है। आत्मा का नेतृत्व करने के लिए उसके नेतृत्व का पालन करना है उदाहरण स्वरूप ईश्वर का वचन है कि हमें एक-दूसरे कि सहायता करनी चाहिए और एक-दूसरे के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। अब हम कहते हैं कि उसी दिन चर्च में पवित्र आत्मा किसी विशेष रूप से किसी के लिए प्रार्थना करने के लिए अपने दिल में खिच लेता है तब आप उस व्यक्ति के पास जाते हैं और आप उससे पूछते हैं "अरे, क्या मैं तुम्हारे लिए प्रार्थना कर सकता हूँ?"उस समय के दौरान अचानक परमेश्वर अपनी शक्ति दिखाते हैं।और वह व्यक्ति पवित्र आत्मा के अभिषेक के कारण दूर चलता है। आशा है कि आप दोनों के बीच का अंतर देख सकते हैं। परमेश्वर दोनों का उपयोग करता है, लेकिन एक अंतर है हम आज्ञाकारी होना चाहते हैं और पवित्र आत्मा के नेतृत्व का पालन करना चाहते हैं। जहां पवित्र आत्मा उसके स्वर्गदूतों की ओर जाता है, वहां क्या होगा



आशा है कि इस लेख ने आपके विश्वास को उभारा है और आपको अपने जीवन में परमेश्वर के स्वर्गदूतों को रिहा करने की अंतर्दृष्टि दी है। 

http://nksamuel.blogspot.com/2020/09/blog-post.html










Previous
Next Post »

2 Comments

Click here for Comments
Unknown
admin
5 मार्च 2022 को 2:33 pm बजे ×

मुझे किताब कसे मिलेगी

Reply
avatar
SONU
admin
24 अप्रैल 2022 को 1:47 pm बजे ×

परमेश्वर की महिमा हो।

Reply
avatar